Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/64

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सट्टी रहें ताकि कत्तो झटका से गाड़ी कैन्हें नी रुकें, माथा में चोट नै लागेँ । रस्तो में कोय हेनों जग्घों के निशानियो तें नै छेलै कि लोगें ऊ देखी के समझी जाय कि तालापुल नगीच आवी गेलों है।

हों, सावधानी लें ड्रायवर आपनों सीटों से लागलों हार्न के जरूरे कस्सी कस्सी दबाबें लागै आरो ई काम तें ड्रायवर जसपुरा से शुरू करी ताकि तालापुल पर हिन्ने हुन्नें बैठलों परौंजर एक ठियां आवी जाय । मतुर सत्ती जानी के खिड़की लुग बैठलो छेलै कि दूरहै सें तालापुल के देखें पारें । आरी तालापुल के नगीच ऐहैं, ऊ सावधान होय गेलो छेलै । गाड़ी रुकलै, तें आपनों पोटरीनुमा झोली थामलें गाड़ी से नीचे उतरी ऐलै ।

उतरलै, तें सीधे काली मंदिर दिस बढ़ी गेलै । थान के कुइयाँ पर जाय के बालटी-उधैन लेले छेलै, गोड़-हाथ धोलें छेलै आरो थानों पर राखलों धुपौड़ी के राख चुटकी से उठाय के गेठी में बांधी लेले छेलै । घुमलै, ते देखै छै, देवदासी ओकरे इन्तजारी में कनेली गाछी के नीचे ठाढ़ी है।

“अरे तोंहें, देवदासी ? यही गाड़ी से उतरला की?" “नै बोदी, सिंहेसर मालिके के खेत जोगी रहलों छियै, तोरा देखलियौं, ते॑ हिन्नँ आवी गेलियै। बड्डी दिनों पर देखलियौं । कहीं बाहर छेलो की ? गाड़ी से उतरलों छौ ।”

“हों, लाल दा के यहाँ छेलियै । ”

देवदासी कुछ बोलतियै कि तखनिये आपनों कानों पर हथेली राखी लेलकै । असल में जोर के आवाज ओकरा बर्दास्त नै होय छै । वैं देखलें छेलै कि खलासी स्वास्तिक नाँखी छड़ निकाली के इंजिन में लगाय के घुमैयैवाला छेलै, आरी पाँच-छों बार अमेठतियै कि गाड़ी गों-गों करी के गरजी उठतियै, आरो यहा शोर ओकरा बर्दास्त नै होय छै । गाड़ी गरजी के आगू बढ़ी गेलै, ते देवदासीं पुछलकै, "एत्ते दिन तें तोहें काहीं नै रुकै छौ, बोदी की फूल के बीहा- शादी लैकें तें....?"

सत्तीं देवदासी के चेहरा देखतें कहलकै, "साँझे घोर अय्यों, सब बात बतैभौं, हों फूल के शादियो- बीहा लै के बाहर छेलियै ।”

“साँझे कथी लें बोदी, इखनिये कैन्हें नी ? हम्मू साथें चलै छियौं, आबे जोगबारें खेत जोगतै, खाय-पीयै के समय तें होय्ये चललो छै । हो वें, मालिक के नौकरवों तें आविये रहलों छै ।" देवदासी नें नौकर दिस ऊँच्चों