एत्ते-एत्ते बात याद करौं, सत्ती के भरमैलों आँख एकदम्मे खुली गेलै, आँख खुली गेलै, तें कंठ से सिसकियो निकली ऐलै। सिसकियो हेनों कि ओकरों कानो के पता नै चललो होतै, मतुर अनुकंपा के कानों से ऊ सिसकी छुपे नै पारलें छेलै। वैं आपनो सब ध्यान खींची के सिसकी पर लगाय देलें छेलै। सोचलकै, ई भ्रम नै हुऍ पारें, पर ऊ नै तें उठलै, नै कुछ बोलवे करलै। ओकरा मालूम छै, कि रात-बेरात कोय किसिम के सिसकी आवें कि हँसी, नै टोकना चाही। हवा- बतास के रूप में प्रेतो उड़ते रहै छै।
सिसकी थमी गेलों छेलै, तहियो अनुकंपा नै उठलै, चुपचाप करवट लै सुतै के कोशिश करते रहलै। एक दाफी ते ओकरों मनों में होलों छेलै कि काहीं सत्तिये ते कोय बातों के याद करी कपसी नै पड़लो छै, कैन्हेंकि सिसकी के आवाज बहा दिसों से ऐलो छेलै।
विहानै सत्ती के जाय वक्तियो तांय वैं ओकरा से कुछुवे नै पुछलें छेलै नै सत्तियै अनुकंपा से कुछ कहले छेलै। बस लालदा आरो बोदी के गोड़ छूवी के दरवाजा दिस बढ़ी गेलो छेलै। ई पहलों दाफी हेनों होलों छेलै कि माय साथें फूलो नीचे उतरलों छेलै, आरो पहिलें दाफी एक दूसरे देखलें छेलै कि लोर दोनों आँखी के कोरी में काजल नाँखी ई छोरों से ऊ छोरों तांय फैली गेलो छै।
(१७)
गाड़ी एक जोरदार ब्रेक के साथ रुकलै, तें गाड़ी में बैठलों सवारी सिनी समझी गेलै कि तालापुल आवी गेलों छै । हेना के जखनी जसपुरा से गाड़ी खुलै छै, तखनिये से गाड़ी में बैठलों लोग ओंघना छोड़ी दै छै नै ते समझो तालापुल पर गाड़ी जे रं रुकै छै, ओकरा से ओंघेवाला के मार्थो अगला सीटों से टकरानाहै छै, आरो काहीं बेसी नीनों में रहें, तें टेटनों फुलनै छेलै । यैसे बचै लेली गाड़ी पर ओंघैवाला सवारी अगला सीटों के हाथों से पकड़ले आकि सीटों पर हेने बैठे कि ठेहुनों ठो आगूवाला सीटों में जाय के