भला हमरा से कथी लें कटियो टा दुराव राखतै । ओकरों बाबू हमरों पकिया दोस्त छेलै, दोस्त होला के बावजूदो हेनों कभियो नै होलै कि कविराज से कम हमरा आदर देलें रहें, आबे ओकरों बेटा आसन से रोगी के इलाज करै छै, ते बढ़ियें बात नी, कोय जड़ी-बूटी से तें नहिये नी करै छै, कि हमरा से दुकानदारी दुराव राखें ।" आशु बाबू जानी के निचलका बात जोड़लें छेलै, ताकि जों सोगारथ जड़ी-बूटी से इलाज करते होते, तें अजनासी बहूं कहवे करतै ।
" है ते नै कहें पारौ बड़का दा, कि आसन साथें, जड़ी-बूटियो से इलाज करै छै कि नै, बोलै ते छेलै कि जड़ी-बूटी के साथ जो आसन करलों जाय, ते मकरध्वज रं आसन काम करै छै । आबे हुनी जड़ी-बूटी के प्रयोग करै छै कि नै करै छै, ई जानना कोनो बड़का बात थोड़े छेकै, गेलियौं आरो पता लगैले ऐलियौं । जीं पता लगाय ऐलियौं, ते मोदक के गुल्ली देवौ नी ।" “ऊ तें तोहें नहियो लगैवैं, तहियों तोरों वास्तें एक गुल्ली बचैय्ये के राखै छियै । कभियो नै बेचें पारौं ।”
आशु बाबू के मालूम है कि मोदक पावै लें अजनसिया लंका तक पार करें पारें, ओकरा जा पारें । बस एक मोदक पर ओकरा से कोय्यो काम करैला जावें सकै छे । यै लेली बात दूसरों दिस नै हुऍ, हुनी तुरत कहलकै “तें लौटी के आव अजनासी, हम्में तोरों वास्तें गोली निकाली के राखवौ ।” "ठीक छै बड़का दा। देरो लगौं, तें बाहर नै निकलियौ। ऐबौं तें पता लगैनें ।" ई कही के अजनसिया दुआरी सें नीचें उतर चुटकी बजैलें छेलै आरो कोनियासी होलें दखिन टोलों दिस निकली गेलै ।
अजनसिया के जैथें, आशु बाबू के मनों में ई बात उठलों छेलै “ओकरा भेजी के शायत हम्मे ठीक नै करलियै, जो कजायत सोगारथ के केन्हौं ई मालूम होय गेलै... मतुर अजनसिया के हम्में कहाँ भेजले छियै, ऊ तें आपन्हैं लबर- लबर बोली रहलों छेलै, आरी गेल्है, ते आपन्है मनों से।”
कि तभिये मन में यहू उठलै, "हमें अजनसिया के बोलियौं कि नै बोलियौं, मनों में तें ई बात छेवे करलै । बस होय गेलै । मनो॑ों में जे रहै छै, ऊ केन्हौं-नै-केन्हों घटिये जाय छै, आबें हम्में बोलियौं आकि नै बोलियौं, मनों में ई तें छेवे करै कि फूल के बीहा- शादी के बात अमर के बड़काहै मामा सोचै छै, तें अच्छा | हम्में कहाँ-कहाँ जैबै आरो करौं की पारौं.... आरो आबें