Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/20

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कपसते रहै, फूलमती के बाबू के याद करी। बस एक्के वहा बात घुरी फिरी के बोलतें चल्लो जाय, “फूल के बाबू, आय तोहें होतियौ, तें ई पहाड़ नाँखि दुख हमरा उठाय ले लागतियै ? गोदी में तीन-तीन बच्चा | तीनों हमरों रहहौं टूअर | जे बच्चा सिनी के माथों से बाबू के हाथ उठी जाय, ते फेनु बचवे करलै की ! तोहें देखै नैं छौ, कि दू शाम के कौर जुटाय लेली, हमरा की की नै करै ले लागी रहलों छै। स्वाति से सत्ती होय के मतलब नै समझे छौ की। बस केकरी दुआरी पर नौड़पनों नै करी रहलों छियै, तोरों इज्जत, मान-प्रतिष्ठा के याद करी। कुटौनों-पिसोनों करन्है छेलै नै ते तीन-तीन बच्चा के मुँहों में दाना कहाँ से राखतियै, हम्मे ते पानियो पीवी के उपास करी लेतियै, मतर फूल हेनों बुतरु सिनी के उपासे केना करैतियै। तोहीं बोलों, जो हबीब के बाबू से बीड़ी बनाय के हुनर नै सिखतियै, ते आय ई घरों में की कलरव सुनाय पड़तियै ? दादाहौ आखिर मुँह कैन्हें चाँपी के रही गेलै, हुनियो जानी रहलों छेलै, एकरों सिवा आरो चाराहै की छै। टोलावाला के कर्ते मुँह सीलें फुरतियै। दस-पाँच रोज कुकआरों चलतै, फेनु अपने सब शांत होय जैतै, आरो बहा होलै। उरेफ बोलवैय्या हमरों पच्छों में बोलें लागलै, 'कोनी मसूद्दी जी घोर ढुकी के बीड़ी बनाय के हुनर थोड़े सिखाय छै; दुआरी पर बैठीक पत्ता काटै के, बीड़ी में पत्ती भरै के तरीका, सूतों लपेटै के हुनर, सब ते बाहरे-बाहरे से बताय छै, आरो अमरजीत के माय ऐंगनाहै से टटिया पीछू बैठी के देखते रहै छै, यैमें दोषे की छै।' सोचै छियै, जो हबीब के बाबू नै होतियै, तें सब बच्चा बिलटी जैतियै। घरों में बीड़ी बनाना शुरू करलियै, तें दू शाम के कौर के ठिकानों बनी गेलै। कहै छै नी, पैसा आवै छै, ते जीयै के हूवो बढ़ छै। सोचलियै, घरों में आवी के बीड़ी कर्ते आदमी लै जैते। टोला - परोस सें तें हेन्है के लोग आवै आरो एक बीड़ी सुलगाय के चली है। आबे एक बीड़ी के पैसो की मांगतियै लोगों सें; मुँहे नै खुलै। ऊ तें हबीबे के बाबुएं बतैलें छेलै, 'बोदी हेना के होथौं की ? बलजीत आरो अमरजीत के हटियावाला रास्ता पर बिहनकी बेरा भेजी देले करों, दुपहरियौ जैतै, तें कोय बात नै, नीमी गाछी के नीचे बोरा बिछाय के बैठी रहतै, आरो वहीं पर दस मुट्ठा बीड़ियो रहतै। देखियौ, जिनगी बितैवों कर्ते आसान हुऍ लागौं। आरो हम्में वही करलें छेलियै। आय ते पैसा हाथों में छौं, फूल के बीहो के बात सोचै छियौं, तें वही बल्लों पर। हबीब के बाबू के लम्बा औरदा हुए,