Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/12

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कहीं छूटै छै की? अमरजीत के कुछ होय जैतियै, तें हमरासिनी में कोय्यो पाप से निवृत्त नै हुऍ पारतियै। सबसे बड़ी गलती तें यह छेलै कि एकरा बम में शामिले नै करना छेलै।"

"हमरों दिस ताकी के बात ख़तम नै करें बदरी। हमें अमरजीत के नै उकसैले छेलियै, बम बनै लें। जे उकसैले छेलै, आकरों माथा पर ते बम फोड़े के साहस नै होतौं।" गुलगुलिया ने देहरी से नीचें पसरतें हुए आगुवो कहलें छेलै, “मक्खी उड़ाय के भनभन दूर करै ले चाहै हैं, बदरी! है भनभन विरनी सिनी के कारनें छेकै, आरो ओकरा में हाथ दै के तोहरों साहस तें होतौ नै।”

“देख गुलगुलिया, मुँह - कमर सेती के राखें। बहुत छुट्टा होय गेलों हैं। हमरा सिनी विरनी आरो मधुमाँछी। अरे, मधुमांछियो काटै छै। बाभन होय के बाभनसिनी पर दोषारोपण रे।" बदरी ने बैठले-बैठले हाथ चमकैतें कले छेलै।

“देख बदरी, यैमें बाभन, बभनौटीवाला बात नै छै। बात के विषाक्त नै करें। यैमें दोषारोपण के की बात छै । कहैं कि गलती बाभनों से नै भै छै की ! अरे, गलती तें ब्रह्म से होय छै, फेनु आदमी तें आदमिये छेकै। बदरी, खाली तोंही बाभन नै छेकें, हम्मू छेकियै, मतरकि पाप के दोष सभे पर बराबरे लागै छै आरो ओकरों परछालन एक्के नाँखी सबकें करै ले लागे छै। है नै कि एक जात मूँ से खाय छै, नाक सों सांस लै, आँख से देखै छै, गोड़ से चलै छै, आरो दूसरों जात नाँकी से खाय छै, मुँहों से देखै छै, आँखी सें साँस लै छै आरो गोड़ों से चन्दन लगावै छै। गलती होलो छै, गलती मानी लेलाहै में फायदा छै–गलथोथरी करला से कुछ हासिल नै होय वाला है। नै दोष तें सबके माथा पर जाय छै, जत्ते बाभन टोला के माधो, बदरी, कपिल, ओतन्है कोयरी टोला के मंगलिया, सिमरन आरो सकीचनों पर; हौं।”

बदरीं अभी आरी कुछ कहै लें हाथ उठैले छेलै कि आशुतोष बाबू ने ओकरों उठतें हाथों के नीचें करते हुऍ कहना शुरू करलकै, “यैर्मे उटका - पैंची के कोय बात नै छै, नै देंसा- ठेंसी के। हम्में आय बभन-टोली के चाँद मिसिर, कश्मीरी झा, किरपा मिसिर आरो कोयरी टोलों के धन्नू, महतो, कानू महती आरो सुग्गी मरड़ के बुलावै छियै, फेनु पूछे छियै कि गाँव आर्बे कें हेन्है चलते कि आरो रस्ता सें।"