Page:Singhasan Battisi.pdf/153

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है कि जहां जहां हाथी ,गैंडे ,शेयर, हरने ,दहाड़ रहे हैं सिवाय उनकी आवाजों के कोई बात कान नहीं पड़ती ,सुन २ आवाजें अपने जि मेेे सहमा आती आता था इस पर भी आगे ही पावन धरा था जब उस पहाड़ को खा गया वहां आकर देखें तो एक वैसा ही फूल पड़ा हुआ चला आता है उस फूल को देख जी में धड़क से हुई कहने लगा कि वैसा फूल दूसरा भी देखा भगवान चाहें तो दृष्टि भी नजर आगे जोर आगे बढ़ा तो फूल और दिल में कुश करार आया आने देखता क्या है कि एक बड़ा पहाड़ है और उसके नीचे एक मंदिर उस मंदिर को देखकर अपने मन में विचार कि ऐसा सुन्दर मंदिर दस जगह बना चुका है चाहिए कोई मनुष्य भी हो वह कहता हुआ उस मंदिर के पास आप पहुंचा और वहां आकर देखें तो एक सर्वर में एक तपस्वी जंजीरें पाँव में बांधे हुए उल्टा लटक रहा है हार्ड मांस चामप सूख कर काठ हो गए हैं और उसमें से एक बूंद रक्त की बूंद नदी में गिरती है और वह फूल हो वहां से बहती चली जाती है ऐसे आचरण को देख जी में यूं कहने लगा कि भगवान की लीला कुछ बुद्धि में नहीं आते नीचे निगाह करके देखें तो बीस जोगी ऐसे ही जटाधारी बैठे हैं और सोल के वे भी खडक हो गए हैं और चारों तरफ उसने दंड कडक पेड हुए हैं और जिस ज्ञान ध्यान में जैसे बैठे थे वैसे ही बैठे थे यह दशा वहां की देख प्रधान उल्टा फिर अपनी नाव पास आया नाव पर सवार हो कितने दिनों में आन पहुंचा लोगों ने