माय कन, आबे रास्ता में तोरे घरों पर पहिले नजर पड़ी गेलै, वहू में द्वारी पर ताला नै, तें समझी गेलियै, तोहें घरों पर होवे करवौ ।'
“आबे बात की छै, वहू बतावों नी ।"
खिरनी धनुकायन नें खटिया पर बैठै के इशारा करते हुए कहलकै, तें अजनसिया आपनों गोड़ खटिया पर नीचें लटकैले बैठी रहलै आरो कहना शुरू करलकै, "तोरा तें मालूमे होथौं कि रूपसावाली सत्ती बोदी गाँव ऐलों छेलै, गाँव ऐलै, मतुर दू चार दिन पहिले घोर नै ऐलै । ई बात के गाँव वालाहौ के मालूम छै, मतुर पेटों में पचाय लें चाहै छै, से विरिज काकां चिरियारी चौर खिलाय के फैसला लेले छै । तें, एकरों मतलबे छेकै कि, बात तें सबटा खुली के आन्दै छै ।” अजनसियां ई बात हेनों मुँह बनाय के कहले छेलै, जेना विरिज नारायण घोष के फैसला बहुत गलत है, आरो अजनसिया ओकरों पक्ष में नै रहें ।
“तें, ई चिरियारी चौर केकरा - केकरा खिलाय के बात छै? कुछु ते तो मालूमे होथौं ?” धनुकायन चाची नें दायां हाथ के तर्जनी आपनों गालों में धंसैतें पूछले छेलै ।
“जे-जे, रूपसापुरवाली बोदी के देखले छै, आरी बात के छुपाय रहलों छै... | बुरा नै मानियों, चाची, पहिलो शंका तें तोरे पर बिरिज काका रों छौं ।” एतना कही के अजनसिया एकदम चुप होय गेलों छेलै ।
चिरियारी चौर के बात सुन खिरनी धनुकायन एकदम चुप होय गेलै । ओकरा खूब मालूम छै कि चिरियारी चौर के वही चबायें पारें, जे निर्दोष छै, नै तें निगलै के सिवा कोय चारा नै, आरो निगलै के मतलबे छै-अलगट्टे चोरी धरैवों । वैं मनेमन सोचलकै - यहू बात नै कि चिरियारी चौर खाय से इन्कार करी लौ । इनकार करै के मतलब तें सीधे-सीधे दोष स्वीकारवों छेकै । नै।
“मतर जे कहीं चाची, है चिरियारी बोरियारीवाला खेल अच्छा खा- म - खा एकरा में निर्दोषो चक्कर में आवी जाय छै । तोरा याद होथौं, धौलिया के बात । जे रं बेचारां मुंशी काका से धौल खैलकै कि ओकरों नामे बटेसरा से बदली के धौलिया पड़ी गेलै । हाँसियो आवै छै, बेचारा पर.... ..मुंशी जी चाँदीवाला माला टूटै के डरों से इनारा के पार्टी पर राखी के नहावें लागलै कि हुन्ने मालाहै गायब होय गेलै । आर्बे के लेलकै नै लेलकै, के कहें