करलै, से ऐंगना नै जाय के सीधे आपनों कुर्सी पर जमी गेलै आरो बोललै, “र्ते पहिले सुनैये लें, की लीला सुनाय ले चाहै हैं ।"
अजनसिया कुछ सुनैतियै, एकरों पहले ऊ एक दाफी फेनु जोरों से हाँसलों छेलै, तबे आपना पर नियंत्रण पावी के कहना शुरू करलकै, "की कहियौं बड़ों दा, हम्में सीधे नै जाय के पिछुवाड़ी दिसों में गेलियौं, कि सोगारथ दा देखी नै लै । इमोलों के चटाय से घेरी के बनैलों आश्रम, जैमें छेदे - छेद । से एक छेद से हम्मे भीतर देखना शुरू करलियै । देखै छियै कि सोगारथ दा चेथरी सें बोली रहलो छै- रीढ़ सीधा रखी के साँस खींचना है। पहिले नाँकी सें, हों; आरो खूब तेजी सें ।"
चेथरी साँस खीचै आरो सोगारथ दा हर दाफी सें ।' आर्बे की कहियौं दादा, चेथरी के मूँ में भरलों हवा भड़ाक से बाहर आवी गेलै, जेना भरलों बैलून के मुँह खुली गेलों रहें आरी सूँ करी के हवा बाहर । हवा निकलतियै तें निकलतियै, ओकरों साथें चेथरी के थूक के फुहारों बाहर निकलें लागलों छेलै । सोगारथ दा पर थूक पड़ले होतै, तभिये नी हुनी गनगनाय उठलों छेलै - कहै छेलियौ, आसन-वासन करवों तोरों बूता के बात नै छौ, दारू - ताड़ी पीवी के देह गलाय लेलें हैं, साँस भला फेफड़ा में कॉन कोण्टा में ठहरती है सुनी के चेथरियो के मूँ गरमैय्ये ते गेलो छेलै-है नै बोलों सोगारथ भाय, टीन भरी साँस के गैस की हमरों फेफड़ा में आवे पारें । आबे हम्में की करियौं, जखनी तोहें बार-बार साँस खींची के छाती फुलाय लें कहीं रहलों छेलों तें हमरा ऊ बेंगवा के बात याद आवी गेलै, जे हाथी के आकार बनावै लेली आपनों देह फुलैले जाय रहलो छै, आरो आखिर में बेलुन नाँखी फटाक से फुटी गेलै-सुनी के हमरों हँसी फूटैवाला है छेलै, मतर समय-स्थान के देखते हुए सीधे सरपट बान्ही पर आवी के खूब हाँसलियै । बस यहीं से आवै में लेट होय गेलै ।”
“ऊ तें हम्मू जानै छेलियै, कि आसन से वहाँ इलाज नै होय छै,
तोहें बेकारे परेशान होले ।" आशु बाबू अपना के ऊ सब बातों से अलग
करतें कहले छेलै, "तहियो चल्लो गेलै, तें एतना ते जानवे करले नी कि
आसन से रोग केना भगैलो जाय छै ।” हुनी आपनों ठोरों पर दायां हाथ के
अंगुली सिनी फिरैतें मुस्कै हुए कहलकै
“एतनै नै जानलियै, बड़ों दा । आरो कुछ जानलियै ।”