Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/44

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“सामाने की छै, बोदी। सब समेटवै, ते बस सुदामा जी के पोटरी । हमें समेटी लै छियै, तोहें यहीं बैठों । भोर से घुरनी रं घरों के कामों पीछू T घुरते रहें छौ, आराम करो।” आरो ऊ लाल बोदी के वाँही खटिया पर बैठैर्ते कोठरी दिस बढ़ी गेलों छेलै ।

सत्ती कोठरी में गेले, तें अनुकंपा आपनों दायां हाथों के बीचलका अंगुरी से दोनों आँखी के कोर पोछी लेलकै ।

(११)

ई तें आशु बाबु के पता नै चललो छेलै कि सोगारथें कखनी आरो कहिया, देह के सबभे रोगों के इलाज लेली 'आरोग्य-आसन-आश्रम' खोली देलें छै। कहीं हेनों तें नै कि आसन-वासन के आड़ों में वैद्यगिरी शुरू करी देलें छै । जों ने बात छै, ते जेहो दू पैसा आवै छै, ओकरों में बखरा । पता तें लगैनै चाही कि आखिर बात कहाँ तांय पहुंची चुकलों छै मतर एकरों पता केना चलतै ? के ई काम ले एकदम फिट हुऍ पारें ? हों, एक तें छै । अभी हुनी जॉन आदमी के बारे में सोचवे करतियै कि देखै छै, वही आदमी हुनकों दुआरी दिस आवी रहलो छै |

"हेमें देखौ, जे अजनासी रों बारे में सोचिये रहलों छेलियै, वही हिन्ने आवी रहलों छै । ई ते चमत्कारे बूझों” आशु बाबू मनेमन सोचलें छेलै, “लागै छै, काम होन्है छै, यही लें तें ई सब होय रहलों छै ।”

आरो हुनी एकदम से इस्थिर होय कें बैठी रहलै | इस्थिर से यै लेली कि आशुबाबुए के नै, है बात सबभे के मालूम है कि बाँस भरी चलै में अजनसिया के पाँच मिनिट से कम नै लगे छे, आरो अभी ऊ पाँच बांस के दूरी पर होते, तें एकरों मतलब छेलै कि आशु बाबू के दुआरी तांय आवै में ओकरा कम-सें-कम बीस-बाइस मिनिट तें लगन्है लगना छेलै ।


बात ई छेलै कि एक दाफी साँझे साँझ ऊ मोर मैदान लेली परसवन्नी खेतों दिस निकली गेलो छेलै । रास्ता घासों से भरलों रहै, से