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सुनना ही विधा की मेह बरसाकर तो और तो अपौषधि और तो और तो बहुत विषाका नक्ष्त्र आ जाए तो आश्चरय दृष्टि हुआ अब है और अनुरग तो है गए
सुनना ही विधा की मेह बरसाकर तो और तो अपौषधि और तो और तो बहुत विषाका नक्ष्त्र आ जाए तो आश्चरय दृष्टि हुआ अब है और अनुरग तो है गए