User:Ankita khandelwal97

From Wikisource
Jump to navigation Jump to search
         मै अंकीता फीलहाल क्रइस्ट विश्वविध्यालय मे बी.कॉम प्रतम वर्ष की छात्रा हूँ। अचानाक कुछ दिनो से मेरे दिल मे ये खयाल आ रहा था की क्यु ना मै अपने गुज़रे पलों को एंव गज़रे हुए किताब के पन्नो को शब्दों मे बंया करु । 
                        शुरु करते हुए सबसे पहले मै अपने स्वभाव के बारे मे कहना चाहूँगी, बचपन से ही मेरा स्वभाव चुलबुला सा रहा है और मै बडी शरारती भी हुआ करती थी पर उसके साथ साथ उतनी ही मासूमियत भी बारी हुई थी। बचपन से ही मुझे बाते करना बहुत पसंद है। कभी कभी तो लोग सोच मे पड जाते है कि मै आखिर इतनी बाते कर कैसे लेते हूँ और मुझे लगता है कि वही मेरी विशेषता है। इसलिए बचपन से ही मुझे सभी 'छेटर बॉक्स' केह्के बुलाते है और मै अभी भी उतनी ही बातें करती हूँ जितनी बचपन मे किया करती थी। मेरे दोस्त हमेशा कहा करते है कि मुझ मे लोगो के चेह्ररे पर मुस्कान लाने की विशेषता है चाहे कैसी भी स्थिती या परस्थिती हो। मेरा मानना है की जैसी भी परस्थिती हो हमे उसे सकारात्मक से लेना चाहीए और ह्मेशा चेहरे पर मुस्कान रखनी चाहिए क्युकि अगर हम उसे नकारात्मक से लेंगे तो उसका कोइ ह्ल नही मिलेगा और उसमे नुक्सान भी हमारा ही होगा।बचपन से ही मै बहुत पतिभारशाली रही हूँ। मुझे नृत्य करना बहुत पसंद है। नृत्य के साथ साथ मुझे संगीत का भी बहुत शौक है।मै ह्मेशा से ही समयनिष्ठ्क रही हूँ और यह सब मै ने अपने पिताजी से सिखा है।ऐसी कही सी अन् कही बाते है जो मै अपने माता और पिता से सिखती हूँ। मेरे माता -पीता ह्मेशा से ही मेरे मर्गदर्शक रहे है।ऐसी कही सी बातें है मेरे बारे मे जो शब्दों मे बंया करना तोडा कठिन है।
                        अब अपनी रुचि के बारे मे बताते हुए मै कहना चाहुँगी कि मुझे बचपन से ही हिन्दी विषय मे बहुत दिलचस्पी है। मै हुमेशा से ही हिन्दी विषय मे अच्छे अंको से पास हुई हूँ। मै पी.यू.सी स्तर के हिन्दी विभाग की सचिव रह चुकी हूँ और हिन्दी विभाग के अध्यापिकाओं के साथ मिलकर हिन्दी साहित्य की ओर तोडा सा योग्दान भी दिया है। मुझे पहले से ही हिन्दी क्षेत्र मे अपना कुछ योग्दान करना चाहती थी और यह मौका मुझे क्रइस्ट विश्वविध्यालय ने दिया है, यह विध्यालय सभी छात्राओं को विकिपीडिया मे अपनी चुनी हुई भाषा मे लेख लिखना होता है और इस के माध्यम से ह्म बहुत कुछ सीख सकते है। जब भी हमारी कक्षा मे हिन्दी विकिपीडिया के विशेषज्ञों आते थे तो उनको देख के मुझे भी ह्मेशा एक खयाल आता था कि क्यु ना मै भी हिन्दी क्षेत्र मे कुछ एसा करु की लोग मुझे भी हिन्दी क्षेत्र की विशेषज्ञ से जाने और मै इस हिन्दी विकिपीडिया मे अपने कुछ एसे लेख लिखू जिससे लोगो को उन विषय मे मदद मिल सके ।
                        फीलहाल मुझे बी.कॉम अच्छे अंको से पास करके सी.एस बनने की महत्वकांक्षा है और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सखू और् दुनिया को ये बता सखू कि लडकियाँ लडकों से कम नही है,वो भी उनसे कदम से कदम मलाकर चल सकती है। अब मै कमज़ोर नही, कोई मुझे निचे नही गिरा सकता क्युकिं अब मै ने सिर्फ उठना सीखा है।