User:Aishwarya Siram

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सौपा गया;और पेशावर तथा मँजे हुए सैनिकोको उस स्थानमे भेजनेका अग्रेजोको अवकाश मिला, जहाँ क्रान्तिका जोर बढा था|

२३ जूनको लेगिस्लेटिव्ह कौन्सिलकी एक बैठक बुलाकर लाँर्ड कँनिगने समाचारपत्रोके विरुध्द एक निबंध(अंक्ट)सम्मत करा लिया । क्यो कि, क्रांतिका श्रीगणेशा होतेही बगालके सभी हिन्दी समाचारपत्र क्रान्तिकारियोमे सहानुभूति बताकर उन्हे प्रोत्साहित करनेवाले लेख लिखने लगे थे । 
 रविवार दिनान्क १४ जूनको 'शान्ति और सुरक्षाका' एक खासा हगामा कलकत्तेमे भी जारी था । उस दिनके सभी हग्य हम एक अंग्रेज लेखककी लेखनीद्वारा अच्छीतरह पाठकोंको दिखाना चाहते है । "सर्वत्र गडबडी,हो हल्ला,अशान्ति  मची हुई थी | भयकर समाचार तो लगातार आ ही रहे थे |'बारिक्पुरकी सेना कलकत्तेपर आ रही है ! उपनगरोकी जनता पह्लेही बलवा कर चुकी है!अवद्द्के नवाब अपनी सेनाद्वारा 'गाड्रन- रीच' को लुटवा रहा है | ऐसी बातोपर तो हर किसीका विशास हो,गया था |बडे अधिकारियोहीन जनतामे घबराहट फैलाना प्रारम किया था | उनमे कौन्सिलके सदशस्योके पास जाकर दौड धुप करनेवाले तथा अपनी पिस्तौले 'मर' कर,दरवाजोके सामने ओटे बनाकर,सोफेपर सोनेवाले स्व्य'गवन्रमेट सेक्रेटरी' ये | उसी तरह द्दरबार छोडकर बालवचोके साथ जहाजपर आसरा लेनेवाले कौन्सिलके सद्स्य इनमे थे | उनसे निची श्रेणीके कमृचारी झुडके झुड, अपने 'बडो' की करवूतसे आवउयक सीख लेकर किलेकी तोपोरी छायामे निमृय बैठे रहनेके लिए अपनी घरकी सभी चीजे जमाकर,किलेके रास्ते,चल पडे थे |भयकी कल्पनासे निम्रित त्रुर कसाइयूंकी फक्षासे दुरु पहुंचानेके लिए इन कायरोंके लिए घोडे,गाडियों पालकिया, और अन्य सब प्रकारकी सवारियाँ मंगवयी गयी थी | उपनि वेउओमे तो ईसाई त्रस्तीका लगभग हर एक घर खाली हुआ था | पाच छ: आदमी, जान हथेलीपर लेकर जो आ जाते, तो लगभग पीना शहर जलाकर मत्म कर दे सकते----!"
अंग्रेजोकी राजघानीमें केवल अफ्वाहोका बाजार गम्र होते ही इतनी
  • रेड पँम्पलेट प २०५