Page talk:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/110

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ज्वालामुखी ५८ प्रथम खद्द --AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC)--AISHWARIYAHARI (talk) 20:45, 30 August 2014 (UTC) का ईरान्से युध छिडा था। साथ साथ भरात्मे उत्थान हो तो बडा सहायक होगा यह मानकर ईरान के शाह ने दिल्ली के बाद्शाह के साथ गुप्त राजनैतिक् बात्चीत चालू की थी। बाद्शाह के घोष्णापत्र मे तो स्पस्ट रूप से कहा गया था कि दिल्ली दर्बार से ईरान को विश्वासी राजदूत भेजा गया था। बाद्शाह के दर्बार मे जब यह हलचल हो रही थी तब स्वय दिल्ली नगर मे लोगोन्के भावोन्को अनत:करण् के गहरे स्त्तर्से उभाड्नेके लिए एक महान आन्दोलन चालू होनेके लक्शनण दिखाई दे रहे थे। शहर मे प्रकट्ररूप से दीवालोपर पर्चे चिपकाये गये थे। १८५७ मे लिखित एक पर्चे मे ये लिखा था:- फिरागियो से भारतको मुक्त करनेके लिए अब ईरानी सेना आ रही है। इस लिए काफिरेकि चगुलसे छुट्नेके लिए छोटे बडे , पडे लिखे या अनपड सैनिक या नागरिक सभी भारतीयोको चाहिये कि अब रण्मैदान मे कूद पडे।" *[reply]

          ये मितिपत्र ( वल पोस्ट्र्से) दिल्ली नगर मे प्रकटरूपसे लग जाते थे किन्तु अनग्रेजिको इनके कर्ताका कभि न लगा। भारतीय समाचारपत्रो मे भी ये घोषणाओ छपती थी और उनपर गूड तथा साकेतिक भाषा मे टीकाटिप्पणी भी प्रकाशित होति थि। दिल्ली के राजमहल से शाहजादे तथा उनके मुसाहिब कभी गुप्त रूपसे तो कभी प्रकट रूप से इसाको बडावा देते थे और गुप्त पडयन्तत्रो का जाल बुन रहे थे। राजा जवानबखत के घुडदौडके मैदानपर सार्जट फलेमिगका लड्का छ: वर्षोसे घुड्सवारी का अभ्यास कर रहा थ। किन्तु १८५७ के अमैलम यह अनग्रेज युवक वजीर महबूब अलीके घर गया था। वहा जवान बखत उसे देखकर आपेसे बाहर होकर बोले ' जा, निकल जा यहासे। फफिरागिका मुह देखतेही मेरा खून खौल उट्ता है।' यह कहकर जवान ब्ख्त उस अनग्रेज युवक के मुहपर थुक +(स·१२) हा ,अन्य लोक , इस डीट शाहजादे के समान उबल न पड्ते हुए अपना आदोलन गुप्त रूपसे चलाते थे। एक अनग्रेज महिला श्रीमती आल्ड्वेल ने अपने कानो सुनी बात की गवाही दी है , कि कई मुस्लीम माताए अपने।

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  • के क्रुत इन्डियन म्यूटिनी खण्ड २ प्र· ३०·

+ मिलिटरी नरेटिव्ह प्र्· ३७४