Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/73

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कथी केरो दियरा हे मैया

कथी केरों बाती हे

कथी केरों तेल हे मैया

जरै सौंसे रात हे

सोना केरों दियरा हे मैया

रेशम सूत-बाती है

सरसों के तेल हे मैया

जरै सौंसे रात हे

जरै जे लागलै दियरा

झलकै छै वाती हे

खेलें लागलै सातो बहिनी

चार पहर रात हे।

सत्तीं ऐंगना के चारो दिस आपनों आँख घुमैलकै। सँझकी बेरा बीती गेलों छेलै, आरो मड़वा लुग बैठली ऐभाति सिनी शबरी - माय के सुरों सुर मिलाय रहल छेलै। कम-से-कम पाँच गोसांय गीत तें गैले जैतै। ऊ वहीं पर बैठली-बैठली गीत के पंक्ति दोहरैलें छेलै,

खेलें लागलै सातो बहिनी

चारों पहर रात हे।

(२०)

फूलमती टोला भरी के कनाय आपनों ससुराल चल्लों गेली, मतुर ओकरों गेला पर गाँव भरी में जे हँसी-ठट्ठा के फुलझड़ी-पटाखा छुटी रहल छै, ऊ रुकै के नामे नै लै छै।

है बात नै छै, कि ऐकरों जानकारी सत्ती, आशु बाबू आकि आशु बाबू के कनियैनी के नै छै। छै आरो खूब छै, मतुर ई बातों पर नाराज होय के बदला हिनकौ सिनी के हँसी आवी जाय छै, तें मुँहों पर हाथ रखी के भीतरे-भीतर हँसी लै छै।