लगले रहलै, तब तांय पानी घोटै के कारण ऊ ऊपर-नीचे होतें रहलै ।
“आऽऽऽह" आशु बाबूं एक संतोष के साँस लेले छेलै, आरो गिलास के देहरी के नीचे राखी देलें छेलै ।
"मतुर तोरा है बात के कहलकौं ?" प्राती माय गिलास के आपनों हाथों में उठैतें पूछले छेलै ।
“अजनासी । वैं खिरनी धनुकायन से - जे विरनी माय से बोली रहलो छेलै । "
“हमरा ते पूर्णमासी मिसिर के कनियैनी बतैलें छै ।”
"तबें तें झूठ नै हुऍ पारें । चतुरानन आरी पूर्णमासी के बीच मनमुटाव नहियो होला के बादो मनमुटावे समझो । आबे तोंही समझों, प्राती - माय, हम्में तें बीमाँ के मने मुताबिक करी रहलों छियै । के नै जानै छै, कि लक्ष्मी ऊ जमीन हमरों नामों से खरीदले छेलै, तखनी एत्तें कागज पत्तर के बात होय छेलै की? मुँह से बोली देलकों, तें - प्राण जाई पर वचन न जाई । यही नी होते रहलों छै । आबें बीमाँ एकरा नै मानै छै, ते नै मानों; लैलौक सबटा जमीन, मतुर जमीनों के कारण रिस्ता मिघाड़वों तें ठीक नै । हमें तें लक्ष्मी के तभियो कैहले छेलियै कि तोहें आपनों पैसा सें जमीन खरीदी रहलों हैं, तें बोमाँ के नामे से कीनें; हमरा दै के जरूरत की । के जानै छै कि यही जमीन कल खना खानदानों लेली बारह मूँ वाला बर्री बनी जाय आरो वही होलै । घाव चोखावै लेलियै ते हम्में जमीन तुरत बोमाँ के दै देलियै ।”
“शायत हमरा सिनी देर करी देलियै ।”
"नै, कुछुवो देर नै करलें छियै। अमरजीत के बड़का मामा जेन्हैं चिल्लर के हाथों से खबर करलकै कि फूल के शादी पक्की होय गेलों है, बस दहेज के टाका केन्हों के होय जाय, तें बॉर-बराती के इन्तजाम हमरासिनी करी लेवै, तें की एक्को दिन विलम्ब करलियै ? बोमाँ के बुलाय के कही देलियै, बारीवाला जमीन तोरे छेकौं । दहेज के रकम चुकाय दौ । आबें बात रहलै, केकरों हाथें बेचतै; तें, हमें यही नी कहले छेलियै कि पूर्णमासी मिसिर के जमीन बेची दौ, यही में भला छै । आर्बे तोहीं सोचौ, प्राती-माय, पूर्णमासी ओत्ते टाका दै रहलों छेलै, जत्ते दहेजों लेली जरूरत है, यानी कि पन्द्रह सौ टाका | पूर्णमासी के एत्ते टाका दैके जरूरते की छेलै, यही लें नी कि हुनको