समय केहन भेल घोर हे शिव!

From Wikisource
Jump to navigation Jump to search
समय केहन भेल घोर हे शिव!
by चन्दा झा

समय केहन भेल घोर हे शिव!
गोधन विपति, धरम अवनति देखि कत हिय करब कठोर॥
साधु समाज राजसँ पीड़ित अति हरषित-चित चोर।
अकुलिन लोकेँ धरणि परिपूरित कुलिन समादर थोड़॥
धरम सुनीति प्रीति ककरहु नहि, खलहिक चलइछ जोर।
कन्द-मूल-फल सेहो अब दुरलभ अन्न गेल देशक ओर॥
किछु शुभ साधन बनि नहि पड़इछ थाकल मन, मति भोर।
कह कवि चन्द्र हमर दुख मेटत होयत कृपा शिव तोर॥

This work was published before January 1, 1929, and is in the public domain worldwide because the author died at least 100 years ago.

Public domainPublic domainfalsefalse