जागू जागू हो ब्रजराज

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रचनाकार: कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'

जागू जागू हो ब्रजराज । निशि पति मेला मलिन देखि निशि त्यागल अम्बर लाज ॥ तारागण सब छोड़ि पड़ैलिह, सखिक आचरण जानि । अपनो लोक संग त्यागै ए, अति अनीति अनुमानि ॥ प्राची दिशा भेट केर कारण, ऐली उषा सोहागिनि । पहिरि लाल पट दिनपति संगहि, रूपवती बड़ भागिनि ॥ पक्षीगण आनन्द मनावे, कलरव चारू सुनावे । अपन नृपति केर सुयश मनोहर, जनु दिस दिस में गावे ॥ विकसित ठाढ़ ‘सरोज’ अहुँ उठि कौतुक करू विचार । निशि जे त्यागल अम्बर तकरा भानु कैल अधिकार ॥