Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/97

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अन्न ग्रहण नै करें पारौं। ” ई कही ऊ लौटवे करतियै कि घुमी के फेनु बोललै, “बेटी, तोहें आपनों ई हालतों से तभिये निजात पावें पारें, जबें तोहें बिना नागाहै बुध के उपवास राखल करवै। आरो सुनों, माँटी केरों चिंता नै करें; माँटी में सभे के मिलना है। तोरों पास तें सबसे बड़ा धोन, तोरों छोटका-बड़का बेटा छेवे करौ, बेटी-ठठरी उठै तांय तोरों सेवा करैवाला। अलख निरंजन।” आरो वहा दिन से मन-मस्तिष्क के शांति वास्तें सत्ती बुधवार के जल आकि शर्बत छोड़ी के कुछुवो ग्रहण नै करै छै। तखनिये कोय आवाज सुनी के ओकरों देह भुटकी गेलों छेलै।

सटाक, आरो फेनु केकरो ससरी के धम्म से गिरै के आवाज। सत्ती बुझी गेलै - झिटकियां जरूरे ऊ करकी बिल्ली पर साटों चलैले होते, आरो छपरी से ससरी के ऊ जमीनों पर गिरी पड़लों होते।

“चलों घरों में शांति तें रहतै, अलखनों हेनों कल्हे से कानी रहलों छेलै" ऊ मनेमन बुदबुदैलै, आरी फेनु सरंग दिस देखलकै। अभी तारा के टिमटिमैवों आरो अन्हार में कोय फरक नै पड़लों छेलै। कि तखनिये बगरी सिनी उतरवारी कोठरी में जोरों जोरों से चीखना शुरू करी देलकै।

“अगे माय, कहीं करकी बिलैया बगरी के तें नै दबोची लेलकै! दू दिन पहले ते परछत्ती के खोता में बगरी बच्चा सिनी के चीं ची करतें सुनले छेलियै, हुऍ सके छै, मौका देखी बिल्लिया झपटी पड़लों रहें, धरान से सटले ते छै खोता। धराने पर चढ़ी के धरी लेलें होते बगरों के।” एतना सोचना छेलै, कि ऊ सबकुछ भुलाय के सीधे उतरवारी घरों दिस लालटेन लैकें तपतैले भागलै।

कोय्यो ते नै रहै छै, उतरवारी घरों में। एक दिसों के दीवार हेने ढनमनाय गेलों छै कि कखनियो भसकी जावें पारें आरी वहा दीवारी बल्लों पर धरान टिकलों होलों छै, से ऊ घरों में राती कोय नै सुतै, कोय बहुत जरूरिये काम होलो, तें कोय ऊ घोर घुसै छै।

सत्तीं बगरो-बच्चा दिस लालटेन के रास उसकाय के देखलकै, तें देखलकै कि बगरो के एक बच्चा नीचे भूसा के ढेरी पर गिरी गेलों छै, आरो दू टा बगरो हिन्ने हुन्ने उड़ी के शोर मचैवो करी रहलों छै। ओकरों धड़कन इस्थिर होलों छेलै। वैंनें लालटेन के एक दिस राखी के बड्डी सावधानी से बगरो-बच्चा के चुटकी में ले छेलै आरो भूसा