Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/92

From Wikisource
Jump to navigation Jump to search
This page has been proofread.

जावें पारले छियै।

“आबे दीदी नै आवे पारी रहलो छै, तें बात बीमारिये के खाली नै हुऍ पारें, बात ते कुछ आरो होतै। दादा ते आपने वैद्य छेकात, छोटों-मोटों तें रोग तें हुनी देहों के नसे दबाय के दूर करी लै छोत। तबें हमरा तांय घुमाय-फिराय के खबर पहुंचवाय के की अरथ?

“सब झूठ हुऍ पारें मतुर अमर के बाबू हमरा से झूठ नै बोलें पारें। बहुत कुछ देखिये - सुनी के हुनी हौ रात, हमरा सब कुछ बताय लें आवी गेलों छेलै। लाल दा के है सब की मालूम। एक दाफी बताय के कोशिशो करलियै, ते उल्टे हमरा समझाय देलकै - "तोहें आपनों देवता हेनों भैसुरों पर शंका करै हैं, कुल आरो कपड़ा जोगलै से जोगावै छै- आबें तें खैर लालदा से कुछ कहै के रास्ता है खतम होय गेलों छै। जे कुछ करना छै, ऊ हमरै। अमर के बाबू देहों से नै छाँत, तें की, मनों से तें छै। जों आय ऊ जमीन के छोड़ी दैछियै, ते कल ई घरो पर दादा कब्जा जमाय लेतै, खाताहौ- खसरा के बारे में अमर के पता नै लागें पारतै। अमर के अकीले की छै! उल्टै बड़काए बू के पच्छों में चल्लों जाय छै, कहै छै - हमरै सें भूल होय रहलों छै। घर में अशांति के जोड़ हम्मिये छेकियै। सपनाहौ कांही सच होय छै, सपना तें मनों के रोग छेकै।

“आबे छेकै ते छेकै, आरो अशांति के जॉड़ छेकियै, ते छेकियै। कोन हमरों शांत रहला से ऊ आवैवाला समय शांते होय जैतै। शांति तें रहतै, जबें हम्में जीते जी अशांत रहियै। कुछुवो होय जाय, ऊ सवा बीघा जमीन पर हम्में आपनों हक नै छोड़ें पारौं। पंच बैठाय लें पड़ें, तें वहू बैठते। कुल आरो कपड़ा खाली हमरै जोगे वास्तें नै छेकै। होन्हौ के कोन मारे नैहरा आरो ससुरार से अच्छा संबंध रही गेलो छै। सब केला पत्ता के कपड़ा रं, कखनियो चिरावें पारें।

“आय नी दादा के तबीअत खराब छै, महीना भरी के बादे सही, हुनका से एक दाफी जरूरे बात करवै। आबें कहै के जेकरा जे कहना छै, कहौ। जों कुछु नै, ते एक उपाय छेवे करै नी। झिटकिया बचले छै, हुनी की ते नै करलें छेलै, झिटकिया लें, एकरों घरे नै बसवैलें छेलै, घरो बनवाय देलें छेलै। झिटकिया के तें आवाजो नै दै छियै कि हाजिर आरो जबें हेनों समय में कुछ करै लें कहवै, ते केना नै करते, जानी दैकें करते।