Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/91

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पूवारी के बँसविट्टी दिस देखवे करतियै कि देखें छियै, हुनी बैठां नै छै। एक क्षण लेली हमरों देह-हाथ सुन्न हेनों होय गेलों छेलै। देखलियै चारो दिस अन्हारे - अन्हार, काँही कोय हमरा देखी नै लें, ते तपतैलो लौटी पड़लियै। घोर तें होने छै, कन्हौ से कुछ उदामों नै। जो कुछ छेलै, तें बस यही कि दुआर एकदम खुल्ला छेलै, जेना कोय दोनों किवाड़ खोली के बाहर निकललों रहें।

“ते, की हुनी हौ दिन यहा बताय लें ऐलों छेलै, कि हमरा सिनी के जमीन वहाँ से लैक वहाँ ताय पड़ै छै? जो हेनों, तें की होय गेलै, ऊ जमीन? यही नी कि हिनकों देह छोड़ला के बाद दादां थोड़ों-थोड़ों करी के ऊ सब बेच गेलै कि केकरो भनक तांय नै लागें। एक्के दाफी बेचतियै, तें कुकवारों होवे करतियै। बात हमरों कानों तांय पहुँचतियै, यही लेली सब काम टुकनी-पाँखों के आवाज रं निपटैलों गेलों होते।

“आबे घरों के आगू के जमीन केना बेचतियै, तें हमरा दीदी से कहवाय देलकै कि घरों के दीवारी से सटलों जे जमीन छै, हौ अमर के बाबूं आपनों कमाय से किनले छेलै, होना के दियोरें किलें तें छेल्हौं दादाहै के नामों पर, मतुर दादा के कहना छौं - ई जमीनों पर बोमाँए के हक बने छै, से लै के चाहो नै छे।

"हम्मू जानै छियै कि दादा के चाह कैन्हें नी छै, यही लेनी, कि खाता- खसरा आरो जमीनों के बारे में हम्में कोय खोज-खबर नै लौं। हौ तें नहिये लेवै, कैन्हेंकि नै ते ऊ सबके बारे में हम्में जानै छियै, आरो नै खाताहै-खसरा मिलै छै, मिलियो जाय छै, तें की पढ़ें पारवै, फेनु के पढ़ी के बतैतै? कैथी जानवे के करै छै-ई गाँव में, एक दादाहै छोड़ी कें? जो जानवी करतें होतियै, तें कोय बतैवो करतियै की ? सौंसे गाँव के हुनी वैद्य छथिन, सबके हिनकों दुआरी पर आनाहै छै, के बैर लैकें जिनगी रोगों के बीच गुजारै लें चाहते? बहूमें एकठो राँढ़ के न्याय मिलें, यही वास्तें ! यैमें केकरौ कोय फायदा होतियै, ते बातो अलग छेलै।

“आबें देखौ नी, जोन दिनों से हम्में सवा विघिया जमीनों के बात उठैले छियै, की रं, दीदीं हिन्ने हुलकवौ छोड़ी देलें छै। विनमा माय से खाली केन्हौ के कहलवाय देलकै कि अमर के बड़काबू के छाती में कुछ दरद रहै छै, से घरों से बाहर निकलौ नै पारै छियै, बोमाँओ के ऐंगन कै दिनों से नै