छियौ, जे तोरों बाबूं हमरों सपना में आवी आवी के कहते रहलौ। तोरों परबाबा के एहै जमीन महाशय जी के धरम कचहरी से मिललों छेलै कि मत पूछ। हौ सब के देखभाल करनाही मुश्किल। अमर, तोरों बाबू के तें बस एक वहा पढ़ना आरी पढ़बों। जमीन दिस कभी ताकवो नै करलकौ।
“आरो जबें तोरों बाबां देह तेजलकौं, तभियो तोरों बाबू के छि यान ऊ दिस नै गेलौ। के जानै छेलै, हमरों ऊपर हेनों बज्जड़ खसी जैतै, नै तें तखनिये हम्में जमीनों के खाता- खसरा आपनों जिम्मा नै करी लेतियै। आबें तें बस ओतने टा जमीन हम्में जानै छियै, जे तोरों बड़का बाबू हमरा बताय छौं। मतर एतन्है टा जमीन होते की ? हुनी तें बतावै छै, आबे जमीन के नामों पर बस पछियें वीरान पड़लों सवा बीघा जमीने छै, आरो जे छेलै, ऊ तें फूल के बीहा में बिकिये गेलै।
“ई बात आरो कोय पतियाय लौ, तें पतियाय लौ, हम्मे नै पतियावें पारौं। वहौ दिन हुनी सपना में ऐलों छेलै, आँख लगलों नै होतै कि नींद चाँक होय गेलै। लागलै, कोय ऐंगना में खड़ाऊँ पर बुली रहल छै। देखलियै, तें झूठ नै छेलै। हुड़का पकड़ी के हुलकलियै, कि आखिर ऐंगना में हिन्ने हुन् के घूमी रहलो छै? यही सोची हम्में डेढ़ियो दिस देखलियै, ते देखलियै कि ऐंगना सें लागलों कोय दुआर आरो दीवार काँही नै छै, एकदम चारो दिस उदामों। भकचकी मिटाय लेली हम्में आपनों कोठरी देखले छेलियै, तें कोठरियो कहाँ छेलै - नै दीवार, नै धरान, नै छप्पर। कहाँ से हमरा में हौ हियाव आवी गेलों छेलै कि हम्मे हौले से ऐंगना आवी गेलो छेलियै, तें देखलियै, हुनी हमरा ईशारा करी नद्दी दिस बढ़े लागलों छेलै। हम्मू रुकलों नै छेलियै, हमरा झटकर्ते ऐतें देखी के हुनी आपनों गोड़ रोकी लेर्ले छेलै; जेना मंत्र के प्रभाव होय गेलों रहें, हमरों गोड़ जहाँ के तहाँ रुकी गेलो छेलै। ऊ दिन पहिलो दाफी हम्मे हुनका एकदम निरयासी के देखले छेलियै- होने देह, काँही कोय अन्तर छै, अन्तर छेलै, तें बस यही कि एक्के धोती में हुनको सौंसे बदन लिपटलों होलो छेलै। छाती-बाँही तें खुल्ले छेलै, हौं, कान्हा से धोती के छोर जरूरे छाती तक लटकी रहलो छेलै.....।
“हम्में कुछ पुछतियै कि तखनिये हुनको दायां हाथ उठलों छेलै आरो वही हाथों के तर्जनी से हुनीं पूबारी बंसबिट्टी से लैके उतराही बँसबिट्टी तांय कुछ बताय के कोशिश करले छेलै। अभी घूमी के हम्में