Page:Satti Bodi (Dr. Amrendra).pdf/89

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छेलै। ठोर तांय नै पटपटैलै। ऊ क्षण भरी चुप्पे रहलों छेलै, फेनु बाहर निकलते हुऍ कहलकै, “हमरों लाभ- शुभ के बारे में सोचै के केकरौ जरूरत नै छै । हुनी सरंगों पर भले रहे, दुख-विथा वक्ती हुनी उतरी के नीने में सब कुछ समझाय-बुझाय जाय छै। बस आपनों ख्याल राखियों, बेटा। आँखी सें बड्डी दूर रहवा। भागलपुरों में रहै छेला, ते जखनी मॉन छटपटावै, तोरा देखै लें दौड़ी पड़ियौं। आबें तें वहू मुश्किल।” कहते-कहते ओकरों ठोर लटपटाय गेलों छेलै।

“तें ठीक छै, नै जैय्यें। आबें तें निश्चिन्त; आरो तोहें हमरों लें चिंता एकदम नै करियें, हम्में असकल्ले नै होवै, तीन-तीन आदमी होवै। बस एतन्है तोहें करियै, कि घोर ढनमनावौ नै।”

(२४)

सत्ती आय के दिनों से सोची रहलों है कि आखिर हौ राति अमर ने है कैन्हें कहलकै - बस एतन्हैं तहूँ करियें कि घोर ढनमनावें नै। तखनी ते हम्में यहा सोची लेलें छेलियै कि घरों के दीवारी बारे में बोली रहलों छै। नै, ओकरों कहै के मतलब कुछ आरो छेलै। तें, वहूँ यही बूझै छै कि घर में जे कुछ भितरिया अशांति चली रहलों है, वैमें हमरे हाथ छै|

ई सोचहैं ऊ मनेमन बड़बड़ाय उठलै, “जों यही बात सही छै, तें तहूँ जानी ले, अमर; कुल खानदानों के इज्जत सोचिये के आय तांय सब कुछ बर्दास्त करी लेलियै, नै तें गोदी के बच्चा सिनी के पालै-पोसै लें हमरा नैहरा से लैकें ससुरारी तक के लोगों के मुँह नै पोछे लें लागतियै आरो जों आपने घरों में नौड़ी रं रहलियै, तें केकरों लें? तोरे सिनी लें नी। हुनी गोदी में चार-चार ठो बुतरु दै गेलै, यही लें नी सबके मुंह जोगेलें लागलै नै तें राँढ़ होला के बादो, दू शाम पेट भरवो कॉन मुश्किल छेलै, बेटा!

“अरे, तोरो सिनी के पालवों कौन बड़का बात छेलै, जो आपनों जिदू पर अड़ी जैतियै| आय तांय तोरा सिनी सें ऊ बात के छिपैतें ऐलो