जमीन बचलो छै, ओकरै पर नैकी बोदी के दाँत गड़लो छै, आधों हिस्सा के बखरा चाहै छै। है बात के लैके भीतरे-भीतर वैदराजिन बोदी की कम दुखित छै, बोलै कुछ नै छै, ई अलग बात छेकै।” साधूं, अबकी मूड़ी ऊपर करते छेलै।
"सुनै के ते यहाँ तक सुनले छियै, महीना भरी पहिले हुनी झिटकिया के बोलाय के कहले छेलै, जोर के धार जेना हुऍ तेना, खेतों तांय लै जो।' अजनसिया बोललै, तें अब तांय सब के मुँह ताकतें गुलगुलियां बीचे में टोकर्ते पूछलकै, "है तोरा के कहलकौ ? भदेवाहैं कहले होती, एक नम्बर के लुतरलग्गा | की एकरा झिटकियां आपनों मुँहों से बतैलें छै आकि सत्ती वोदियें? झूठ-झूठ के केकरौ पर ढेंस आकि लांछन लगैवौ ठीक नै। बेसी तोरा सिनी बोलवे, ते पुरवासखी होय जैतौ। कोनो कल्पवास पर नै गेलो छै, नैकी बोदी।"
पुरवासखी के बात सुनहैं सब चुप्पी धारण करी लेलें छेलै, तें गुलगुलिया आगू बोललै, “हों एतना जरूरे कभियो कहले छेलै कि हौ जोर, जों ऊ जमीनी तांय केन्हौ के होतियै, तें खेत के किस्मते बदली जैतियै। है बात तें सत्ती बोदीं हमरे से कहले छेलै। है कोय चोरका बात थोड़े छेकै। तें, एकरी अरथ ई कहाँ निकलै छै कि हुनी झिटकिया से जोर वहाँ तायं बहवाय के बात सोची रहलों छै। अरे, तोरासिनी नै बूझें पारवें नैकी बोदी के। एत्ते दुक्खों के बादो केन्हों इस्थिर छै। कटलों ठूंठ गाछ के देखले छै, जेकरों खोड़ासिनी में सुग्गा-मैना आरनी हुलकर्ते रहै छै - बोदी के वहा समझैं।” ओकरों बोली में झाँस आवी गेलों छेलै।
"गुलगुलिया, जरा नरमैय्ये के बोलवैं, तें कुछु घटी जैतौ की? अरे, एक बात तें तहूं सोचें, जबे हुनी है बात तोरा से कहें पारें, ते एकरा में कॉन अचरज कि यहा बात झिटकिया के नै कहलें होते। अच्छा, ई तें बताव कि नैकी बोदी लें पहिलें तोहें आपनों कि झिटकिया ?" मंगलिया गुलगुलिया के चेहरा पर आपनों नजर गड़ते हुए कहले छेलै।
“से तें नहिये।”
“तें, फेनु तोहें पच्छ कथी लें लै हैं !”
“पच्छ के बात नै छै, यहाँ तें बाते पर बात निकली रहलों छै नी। जे असली बात छै, ऊ तें हटी चुकलों छै" गुलगुलिया ने विषय के घुमैटते